भास्कर न्यूज
लखनऊ।राजधानी में नवरात्रि महाअष्टमी के उपलक्ष्य में बुधवार को प्रातः कालीन सत् प्रसंग में रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द ने बताया कि ईश्वर भक्तों के कल्याण के लिए सर्वदा व्याकुल रहते हैं, अगर कोई भक्त अपनी चेष्टा से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं, कमजोर हैं, तब ईश्वर उनके लिए और भी अधिक सोचते हैं। कैसे उनका आध्यात्मिक कल्याण हो जाए।
जिसका दृष्टांत हम भगवान श्री रामकृष्ण के जीवन में देखते हैं। श्री रामकृष्ण के एक अंतरंग भक्त मास्टर महाशय ने इसका उल्लेख करते हुए बताया कि एक दिन एक भक्तगृह में जब श्री रामकृष्ण एक भक्ति गीत सुन रहे थे, तब उनका गाना सुनते-सुनते भावावेश हो रहा था एवं आखिर में श्री रामकृष्ण समाधि मग्न हो गये। देह निश्छल हो गया एवं वे बड़ी देर से स्थिर है। श्री मास्टर महाशय ने लिखा, “कुछ देर बाद उनकी प्रकृत अवस्था हुई। परंतु भावावेश अब भी है। इस अवस्था में भक्तों की बात कह रहे हैं।
बीच-बीच मे माता से बातचीत भी कर रहे हैं।” अर्थात अर्द्ध अतिचेतन अवस्था में श्री रामकृष्ण साक्षात भवतारिणी को प्रत्यक्ष करते हुए उनसें भक्तगणों के कल्याण के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। भक्त मास्टर महाशय ने लिखा, श्री रामकृष्ण भावस्थ होकर बोल रहे हैं “माँ उसे अपनी ओर खींच लो मैं अब और अधिक उसकी चिंता नहीं कर सकता।” फिर श्री रामकृष्ण उनके अन्य एक भक्त श्री गिरीशचंद्र घोष के बारे में भविष्यवाणी किया। हम जानते हैं कि गिरीशचंद्र का चरित्र सही नहीं था और वो भगवान को पाने के लिए साधन भजन करने में असमर्थ रहे। ऐसे कमजोर भक्तों के लिए भी श्री रामकृष्ण ने आशीर्वचन दिया “तुम दिन पर दिन शुद्ध होगे। दिन-दिन तुम्हारी खूब उन्नति होगी। लोगों को देखकर आश्चर्य होगा।
मैं अधिक न आ सकूँगा, पर इससे क्या, तुम्हारी ऐसी ही बन जाएगी।” न केवल गिरीशचंद्र वरन् गिरीशचंद्र के माध्यम से भगवान श्री रामकृष्ण ने सभी भक्तों को यह संदेश दिया कि जो जहाँ पर है वो अगर भगवान पर विश्वास रखें एवं अपने सामर्थ्यानुसार भगवान का दिया हुआ कार्य यथाशक्ति करते रहे तब उनके भी जीवन में उन्नति अनिवार्य है।
वो भी दिन पर दिन शुद्ध हो जाएंगे एवं आखिर में ईश्वर प्राप्त करेंगे। स्वामी मुक्तिनाथानन्द ने बताया कि अतएव हमारे आध्यात्मिक जीवन के लिए निश्चिंत रहना चाहिए, क्योंकि स्वयं भगवान हमारे कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। अगर हम भगवान के ऊपर पूर्ण विश्वास रखते हुए उनके चरणों में भक्ति के लिए प्रार्थना करें तब हम भगवान की निरंतर कृपा का अनुभव कर पाएंगे एवं भगवत् कृपा से भगवत् दर्शन करते हुए हमारा जीवन सार्थक हो जाएगा।