नई दिल्ली. भारत में त्यौहारों का मौसम शुरू हो चुका है. कल यानि गुरुवार को दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा, भाई दूज और फिर देवोत्थान के बाद शादियों का सीजन शुरू होने जा रहा है. लिहाजा त्यौहारों पर मिठाई न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता. दिवाली से शुरू होने वाले इन त्यौहारों में न केवल लोग अपने-अपने घरों पर मिठाइयां बनाते हैं बल्कि एक दूसरे को उपहार में भी मिठाई देकर मुंह मीठा कराने की परंपरा निभाते हैं. ऐसे में यह सीजन डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के लिए मुश्किल हो जाता है. मीठा खाने का मन होने के बावजूद भी उन्हें मिठाई से दूर रहना पड़ता है. हालांकि डायबिटीज से जूझ रहे मरीज अगर विशेषज्ञों के बताए रास्ते पर चलें तो वे न केवल इस त्यौहारी सीजन में मिठाइयां खा सकते हैं बल्कि अपने शुगर लेवल को भी नियंत्रित रख सकते हैं.
एंडोक्राइन सोसायटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और जाने माने एंड्रोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. संजय कालरा कहते हैं कि मीठा खाने का सभी का मन करता है. खासकर उन लोगों का जो डायबिटीज के साथ जिंदगी बिताते हैं. कुछ हद तक मीठा खाने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन अगर कोई व्यक्ति जिसे डायबिटीज है वह ज्यादा मीठा खाता है तो इससे ग्लेकोज का स्तर बढ़ जाता है और कई जटिलताएं आ जाती हैं. हालांकि आज मीठे की भूख या तलब कम करने के बहुत सारे तरीके हैं. इनके बारे में जानना जरूरी है.
जाने माने एंड्रोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. कालरा कहते हैं कि जहां खान-पान का ध्यान डायबिटीज के मरीजों को रखना है वहीं मरीज के घरवालों को भी इन चीजों पर ध्यान देना जरूरी है ताकि शुगर भी नियंत्रित रहे और त्यौहार का भी आनंद उठाया जा सके.
डायबिटिक मरीजों के लिए जरूरी हैं ये चार पी
डॉ. संजय कहते हैं कि कलिनरी साइंस या कुकिंग किट में इन जरूरी बातों का जिक्र है. अगर इन चार पी का ध्यान रखा जाए तो डायबिटिक मरीजों को दिक्कतें नहीं आएंगी. पहला प्रॉक्योरमेंट ऑफ फूड, दूसरा है प्रिपरेशन ऑफ फूड, तीसरा है प्लेटिंग या प्रेजेंटेशन ऑफ फूड और चौथा है प्रिजर्वेशन ऑफ फूड.
तली हुई मिठाई की जगह भुनी हुई मिठाई खाएं
. डॉ. कालरा कहते हैं कि पहला पी है प्रॉक्योरमेंट ऑफ फूड यानि खाने का चुनाव. पहली रोक वहां लगाना जरूरी है जब हम खाना खरीदते हैं. कोशिश करें कि मीठी चीजें खरीदें ही नहीं. जयादातर सलाद और नमकीन चीजें खरीदें. अगर आपको दिवाली के लिए गिफ्ट खरीदने हैं तो मिठाई या चॉकलेट न खरीदें, उसके बदले फल या हेल्दी स्नैक्स यानि भुने हुए नमकीन लें न कि तले हुए.
. वहीं अगर हलवाई वाली मिठाई ही लेनी है तो उसको इस तरह चुन सकते हैं कि कुछ मिठाइयां तली हुई होती हैं जैसे लड्डू या पंजीरी, इनमें 33 फीसदी घी, 33 फीसदी चीनी और 33 फीसदी अनाज होता है या दाल होती है. इनको पूरी तरह अवॉइड करें.
. कुछ मिठाइयां भुनी हुई होती हैं जैसे काजू या बादाम की बर्फी, इनमें चीनी होती है लेकिन घी नहीं होता. ये एक दो पीस खा सकते हैं.
. कुछ मिठाइयां उबली हुई होती हैं जैसे रसगुल्ला. अगर इन्हें अच्छे ढंग से निचोड़ कर खाते हैं तो प्रेक्टिकली आप उबला हुआ दूध खा रहे हैं तो ये डायबिटीज में खा सकते हैं.
डायबिटिक मरीजों के परिजन करें ये उपाय
डॉ. कालरा कहते हैं कि जहां खान-पान का ध्यान डायबिटीज के मरीजों को रखना है वहीं मरीज के घरवालों को भी इन चीजों पर ध्यान देना जरूरी है ताकि शुगर भी नियंत्रित रहे और त्यौहार का भी आनंद उठाया जा सके.
प्रिपरेशन ऑफ फूड

विशेषज्ञों की सलाह है कि जब भी घर पर मिठाई बनाएं तो डायबिटीज के मरीजों को ध्यान में रखते हुए तली मिठाई बनाने के बजाय भुनी हुई या उबली हुई मिठाईयां बनाएं.
दूसरा पी है यानि खाना तैयार करना. डॉ. कालरा कहते हैं कि जब आप खाना तैयार करें तो उसमें चीनी और घी कम से कम डालें.
प्लेटिंग या प्रेजेंटेशन ऑफ फूड
तीसरा पी है प्लेटिंग या प्रेजेंटेशन ऑफ फूड. यानि कि खाने को किस तरह परोसें. डायबिटिक मरीज को अगर आप कोई मिठाई या मीठी चीज खाने को दे रहे हैं तो इतना ध्यान रखें कि उसके कई हिस्से कर लें. जैसे कि खाने की प्लेटिंग करते वक्त रसगुल्ले के चार हिस्से कर लें, लड्डू या बरफी को भी कई छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लें. फलों को भी छोटे हिस्सों में दें. वहीं साथ में छोटी चम्मच और छोटा कांटा दें ताकि कम से कम फूड इस्तेमाल होगा. इसी से मीठा खाने की मात्रा कम हो जाएगी.
. स्लाइसिंग एंड डाइसिंग यानि कि कोई फल काटें तो कैसे काटें. कभी भी फल काटें तो स्लाइस के बजाय क्यूब्स में काटें. इससे सर्फेस एरिया बढ़ जाता है जो हमारी जीभ के ज्यादा हिस्से को स्वाद देता है और ज्यादा मजा भी आता है. इसके बाद इसे छोटी छोटी फॉक से खाएं. यानि कम कैलरी या मीठे में ज्यादा स्वाद मिलेगा.
प्रिजेर्वेशन ऑफ फूड
डॉ. संजय कहते हैं कि चौथा और आखिरी पी है प्रिजर्वेशन ऑफ फूड यानि खाने का रखरखाव. कभी भी फूड को रखें तो उसे ऐसे कंटेनर में रखें जिसमें दिखाई न दे. इससे वह कम दिखाई देगी और कम से कम इस्तेमाल होगी. वहीं बाहर से अगर कोई ऐसी मिठाई आई है जो अनहेल्दी है तो उसे तुरंत रिश्तेदारों को गिफ्ट करें दें जिन्हें डायबिटीज नहीं है.
माइंडफुल ईटिंग है जरूरी
जब भी आप त्यौहार पर खाएं तो ये सोचें कि ये चीज कहां से आई और कैसे आप तक पहुंची. साथ ही ये भी देखें कि जो आप खा रहे हैं वह किस किस चीज से बनी है या उसका क्या असर होगा. इसे माइंडफुल ईटिंग कहते हैं. ऐसा करने से जो फूड की मात्रा है वह भी शरीर में कम जाती है. वहीं अगर हम धीरे-धीरे खाते हैं और उसका लुत्फ ज्यादा उठाते हैं तो उसका स्वाद भी ज्यादा आता है और शुगर भी नहीं बढ़ती.
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